हालात कैसे भी हो। खुल के मुस्कुरा लेती हूँ। मैं। बात। चाहे छोटी हो या बड़ी, अपने जहन में उतार लेती हूँ। मैं। देखा है। लोगों को? पल में? बदलते। जमाने के इस रंग से परे रहती हूँ। मैं। हर पल वक्त के साथ ढलती है। ये जिंदगी। बीते हुए कल की सोच और आने वाले कल की आज। बस यूं ही चलती जा रही है। जिंदगी। सबसे हंस के मिलकर। 2। पल। मैं भी हंस लेती हूँ। न शिकवा है, न शिकायत है। और ना ही किसी से कोई गिला है। कभी खुद माफी मांग लेती हूँ?
Devender Singh
@devsingh · 0:10
बात जिस्म पर आई? और वो बात न रही। बात जिस्म पर आई? और वो बात न रही। मैंने कहा भी था इश्क को? इश्क रहने। 2।